कौन सी विधानसभा से कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में
हरियाणा चुनाव 2024 : जानें प्रमुख पार्टियों और उनके द्वारा चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या के बारे में
हरियाणा में चुनाव 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में, कुल 90 सीटों के लिए 1031 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए एक ही चरण में 5 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा जहां 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए नजर गड़ाए हुए है, वहीं कुमारी शैलजा और पार्टी के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस राज्य में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश कर रही है, जो पिछले विधानसभा चुनावों में 40 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता में आई थी। कांग्रेस 31 सीटों पर सिमट गई जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने 1 सीटें जीतीं। और नई बनी पार्टी जेजेपी 10 सीटें जीत कर आई।
इस साल चुनाव लड़ने वाली पांच प्रमुख पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)+ भारतीय साम्यवादी पार्टी (भाकपा), इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) + बहुजन समाज पार्टी, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) + आजाद समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) शामिल हैं।
हरियाणा चुनाव 2024 : हरियाणा में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसका ब्योरा इस प्रकार है:
भारतीय जनता पार्टी - 89
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 89
भारतीय साम्यवादी पार्टी - 1
इंडियन नेशनल लोकदल - 51
बहुजन समाज पार्टी - 37
जननायक जनता पार्टी - 45
आजाद समाज पार्टी - 45
आम आदमी पार्टी - 90
विधानसभा के अनुसार कितने- कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में है
Adampur - 12
Ambala Cantt. - 11
Ambala City -11
Assandh - 14
Ateli - 8
Badhra - 15
Badkhal - 9
Badli - 9
Badshahpur - 13
Bahadurgarh - 14
Ballabgarh - 8
Baroda - 7
Barwala - 9
Bawal - 10
Bawani Khera -10
Beri - 8
Bhiwani - 18
Dabwali - 12
Dadri - 18
Ellenabad- 10
Faridabad - 8
Faridabad NIT - 13
Fatehabad - 18
Ferozepur Jhirka - 8
Ganaur - 11
Garhi Sampla-Kiloi - 9
Gharaunda - 8
Gohana - 11
Gulha - 9
Gurgaon - 17
Hansi - 13
Hathin - 8
Hisar - 21
Hodal - 12
Indri - 6
Israna - 7
Jagadhri - 11
Jhajjar - 11
Jind - 13
Julana - 12
Kaithal - 12
Kalanaur - 13
Kalanwali - 5
Kalayat - 14
Kalka - 7
Karnal - 12
Kharkhauda -10
Kosli - 17
Ladwa - 16
Loharu - 13
Mahendragarh - 13
Meham - 19
Mulana - 10
Nalwa - 13
Nangal Chaudhry - 5
Naraingarh - 7
Narnaul 11
Narnaund 14
Narwana 10
Nilokheri 15
Nuh 6
Palwal 13
Panchkula 10
Panipat City 11
Panipat Rural 11
Pataudi 7
Pehowa 9
Prithla 13
Punahana 7
Pundri 18
Radaur 10
Rai 14
Rania 14
Ratia 10
Rewari 12
Rohtak 15
Sadhaura 9
Safidon 17
Samalkha 7
Shahbad 9
Sirsa 13
Sohna 10
Sonipat 12
Thanesar 9
Tigaon 13
Tohana 12
Tosham 15
Uchana Kalan 20
Uklana 7
Yamunanagar 10
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कालका विधानसभा क्षेत्र
कालका
विधानसभा सीटों की सूची में हरियाणा की शुरुआत कालका विधानसभा क्षेत्र से होती है। हल्के को मुख्य रूप से 5 हिस्सों, दून, रायतन, मोरनी, कालका-पिंजौर व रायपुररानी में बांटा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा यह हल्का लम्बे समय से बाहरी उम्मीदवारों की पसंद रहा है। 1993 उपचुनाव में चंद्रमोहन के यहां सक्रिय हो जाने के बाद यहां के स्थानीय नेता खुलकर बोल नहीं सके। चंद्रमोहन लगातार 4 बार 1993, 1996, 2000 और 2005 में यहां से विधायक बने। चंद्रमोहन अपने पिता चौधरी भजनलाल के मुख्यमंत्री काल में 1993 में पहली बार तब विधायक बने थे जब कालका से कांग्रेसी विधायक पुरुषभान का निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी। तब तक पंचकुला जिला क्षेत्र (पहले अंबाला जिले का हिस्सा) की यह एकमात्र सीट थी। परिसीमन में जब कालका और पंचकुला अलग-अलग सीटें बन गई। 2009 के चुनाव में फिजा प्रकरण के चलते कांग्रेस ने चंद्रमोहन को टिकट नहीं दी तो एक अन्य बाहरी उम्मीदवार सतविंदर राणा यहां कांग्रेस की टिकट पर लड़े। उस चुनाव में इनेलो के प्रदीप चौधरी जीते थे।
2014 से पहले भाजपा ने कालका सीट कभी नहीं जीती थी। 1996 और 2000 में पार्टी के उम्मीदवार शामलाल चंद्रमोहन के मुकाबले दूसरे नंबर पर जरूर रहे थे और यही भाजपा का यहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। 2014 में मोदी लहर के चलते कई स्थानीय नेता भाजपा की टिकट लेने के चक्कर में थे लेकिन कालका का इतिहास दोहराते हुए यहां से लतिका शर्मा के रूप में बाहरी उम्मीदवार ही सामने आया। लतिका शर्मा अंबाला की रहने वाली हैं और कालका ही नहीं, भाजपा के तमाम नेताओं, कार्यकर्ताओं के लिए उनका नाम बेहद नया था। सीधा टिकट लेकर कालका पहुंची लतिका शर्मा ने चुनाव प्रचार तेजी से किया और कुछ ही दिनों में वो अपने मुख्य प्रतिद्वंदी प्रदीप चौधरी पर हावी हो गई थी। वे वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज के भी काफी नजदीक थी, और सुषमा उनके लिए वोट मांगने भी। लतिका शर्मा एक सुशिक्षित महिला हैं और उनके पति व्यवसायी हैं। भाजपा को 2009 में यहां महज 2.07 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन लतिका शर्मा को 40.42 प्रतिशत वोट पड़े। इस चुनाव में ऐतिहासिक बदलाव हुआ था।
2019 में ये सीट इनेलो से कांग्रेस में आये प्रदीप चौधरी ने जीती थी। इस बार लतिका शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव से पहले के दो फाड़ होने से इनलो कोई खास नहीं कर पाई इनेलो के उम्मीदवार सतेंद्र राणा को 3.9 प्रतिशत वोट ही प्राप्त हुए और इनेलो से अलग हुई नई जननायक जनता पार्टी को लगभग 6 प्रतिशत वोट ही संतोष करना पड़ा। इस बार भी सीधी टक्कर लतिका शर्मा और प्रदीप चौधरी के बीच में रही और कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी ने जीत हासिल की। दोनों में 5931 वोटों का अन्तर रहा।
इसी साल विधानसभा चुनाव होने है अब देखना ये होगा कि इस बार भी सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच में रहेगा या कोई और पार्टी भी मुकाबले आ सकती है
कालका विधानसभा का चुनावी गणित
हरियाणा विधानसभा सीटों की सूची के शुरुआत की बात करें तो कालका विधानसभा से होती है। क्योंकि विधानसभा क्षेत्र के नाम के साथ इनको नंबर से भी जाना जाता है इसी नंबर वाली कड़ी में नंबर 1 है। हल्के को मुख्य रूप से 5 हिस्सों, दून, रायतन, मोरनी, कालका-पिंजौर व रायपुररानी में बांटा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटा यह हल्का लम्बे समय से बाहरी उम्मीदवारों को जीतता आ रहा है । चंद्रमोहन लगातार 4 बार 1993, 1996, 2000 और 2005 में यहां से विधायक बने। तब तक पंचकुला जिला क्षेत्र (पहले अंबाला जिले का हिस्सा) की यह एकमात्र सीट थी।
हम परिसीमन के बाद हुए चुनाव के बारे में बात करेंगे। परिसीमन में जब कालका और पंचकुला अलग-अलग सीटें बन गई। 2009 के चुनाव में फिजा प्रकरण के चलते कांग्रेस ने चंद्रमोहन को टिकट नहीं दी तो एक अन्य बाहरी उम्मीदवार सतविंदर राणा यहां कांग्रेस की टिकट पर लड़े। उस चुनाव में इनेलो के प्रदीप चौधरी 21187 वोटों के अन्तर से चुनाव जीते थे।
2014 से पहले भाजपा ने कालका सीट कभी नहीं जीती थी। कालका का इतिहास दोहराते हुए यहां से लतिका शर्मा के रूप में बाहरी उम्मीदवार ही सामने आया। वरिष्ठ भाजपा नेता स्व. सुषमा स्वराज के नजदीक नेताओं में माना जाता था, और सुषमा जी उनके लिए चुनाव प्रचार करने भी आई थी। सीधा टिकट लेकर कालका पहुंची लतिका शर्मा ने चुनाव प्रचार तेजी से किया और कुछ ही दिनों में वो अपने मुख्य प्रतिद्वंदी प्रदीप चौधरी पर हावी हो गई थी। भाजपा को 2009 में यहां महज 1958 वोट मिले थे लेकिन लतिका शर्मा को 50347 वोट पड़े। इस चुनाव में इतिहास को बदलते हुए 18819 वोटों के अंतर से चुनाव जीतकर इस सीट पर पहली बार कमल खिला आकर विधायक बनी।
2019 चुनाव से पहले इनेलो के दो फाड़ होने से प्रदीप चौधरी इनलो छोड़कर कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस ने प्रदीप चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया। इसबार यहां से प्रदीप चौधरी ने जीत दर्ज की थी। इस बार लतिका शर्मा को हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव से पहले के दो फाड़ होने से इनलो कोई खास नहीं कर पाई इनेलो के उम्मीदवार सतेंद्र राणा को 4963 वोट ही प्राप्त हुए और इनेलो से अलग हुई नई जननायक जनता पार्टी को लगभग 7739 वोट से ही संतोष करना पड़ा। इस बार भी सीधी टक्कर लतिका शर्मा और प्रदीप चौधरी के बीच में रही और कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी ने 5931 वोटों का अन्तर से जीतकर विधायक बने ।
इसी साल विधानसभा चुनाव होने है अब देखना ये होगा कि इस बार भी सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच में रहेगा या कोई और पार्टी भी मुकाबले आ सकती है 2024 के विधानसभा चुनावी विश्लेषण लोकसभा चुनाव के बाद आपके साथ सांझा करेंगे।
पंचकुला विधानसभा का चुनावी इतिहास
पंचकुला विधानसभा हरियाणा की उन विधानसभा सीटों में से है जो 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी और इस पर अब तक 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव हुए हैं। मुख्य रूप से पंचकुला के शहरी क्षेत्रों वाली इस सीट में आसपास के 35 गांव भी हैं। 2009 में इस सीट से कांग्रेस के देवेंद्र कुमार बंसल चुनाव जीते थे जिन्होंने इनेलो की टिकट पर लड़ रहे पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह को हराया था। 2009 के चुनाव में भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता तीसरे स्थान पर रहे थे, जो 2014 में बड़े अंतर से जीत हासिल कर विधायक बने। 2019 के चुनाव में भाजपा के ज्ञानचंद गुप्ता दूसरी बार विधायक बने और कांग्रेस से चन्द्र मोहन दूसरे स्थान पर रहे।
नई विधानसभा सीट बनते ही ज्ञानचंद गुप्ता ने 2009 में पंचकुला से भाजपा की टिकट हासिल कर ली और 19 फीसदी वोट लेकर तीसरे स्थान पर रहे। ज्ञानचंद गुप्ता ने शहर में अपनी सक्रियता और पार्टी में अपनी पकड़ बरकरार रखी और 2014 में भी आसानी से टिकट ले आए। इनेलो के कुलभूषण गोयल से कड़ा मुकाबले के बाद ज्ञानचंद गुप्ता का प्रचार आखिरी दिनों में मोदी लहर के सहारे तेजी से आगे बढ़ा और उन्होंने 54 फीसदी वोट हासिल कर शानदार जीत दर्ज की।
शहरी सीट होने के बावजूद पंचकुला में इनेलो का ठीक-ठाक आधार रहा है। यहां हुए दोनों चुनावों में इनेलो उम्मीदवारों को 2009 में लगभग 20 प्रतिशत 2014 में लगभग 19 प्रतिशत और 2019 में लगभग 2 प्रतिशत वोट मिले। और जेजेपी के अजय गौतम को 1 प्रतिशत से भी काम वोट मिले।
5 अक्टूबर को होने वाले चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के ही बीच में होने की सम्भावना है भाजपा से ज्ञानचंद गुप्ता, कांग्रेस से चन्द्र मोहन एक बार फिर से चुनावी मैदान में है
सिरसा ज़िले की पांचों सीटों पर चर्चा
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सिरसा ज़िले की पांचों सीटों पर चर्चा करेंगे।
सिरसा विधानसभा
सिरसा विधानसभा सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस के गोकुल सेतिया और हलोपा के गोपाल कांडा के बीच में रहेगा। इस सीट से बीजेपी ने अपने उम्मीदवार का नामांकन वापिस ले लिया था। इनेलो ने हलोपा को समझौते के तहत अपना समर्थन गोपाल कांडा को दे रखा है 2019 के चुनाव में इनेलो ने अपना समर्थन गोकुल सेतिया को दे रखा था। गोकुल ने सिरसा से इनेलो के कार्यकर्ताओं के साथ सम्बन्ध अच्छे बना कर रखे थे जिसका फायदा गोकुल को होता हुआ दिख रहा है पिछले दिनों एक कार्यकर्ता सम्मेलन में गोकुल को पीठ में छुरा घोंपने वाला इन्शान कहा परन्तु गोकुल ने कोई पलट कर जवाब नहीं दिया, इसके भी कुछ राजनैतिक मायने है अभी तक गोकुल सेतिया आगे दिखाई दे रहे है परन्तु देखना होगा की बीजेपी के मतदाता का रुख क्या रहने वाला है
कालांवाली विधानसभा
कालांवाली विधानसभा सीट पर सीधा मुकाबला कांग्रेस के शीशपाल केहरवाला और बीजेपी के राजेन्द्र देसूजोधा के बीच में ही दिखाई दे रहा है हालांकि इनेलो भी मुकाबले में आने की कोशिश कर रही है देखना ये भी होगा कि इनेलो के वोट बढ़ते हैं तो नुकसान कांग्रेस को होगा या बीजेपी को ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा पंरतु राजेंद्र देसूजोधा को पगड़ीधारी सिख होने का फायदा होता हुआ दिख रहा है साथ ही शीशपाल केहरवाला को कांग्रेस के प्रति उम्मीद का फायदा भी हो सकता है
रानियां विधानसभा
रानियां विधानसभा सीट पर मुकाबला इनेलो के अर्जुन चौटाला, कांग्रेस के सर्व मित्तर कम्बोज, बीजेपी के शीशपाल कम्बोज, आज़ाद रणजीत चौटाला और आप के हैप्पी कम्बोज चुनावी मैदान में है मुकाबला बहुगुणा होने के आसार बन रहे हैं अर्जुन चौटाला का चुनाव थोड़ा आगे नजर आ रहा है साथ ही पुराने रोड़ी हल्का के गांव में अर्जुन को ज्यादा वोट आने उम्मीद है यदि ऐसा नहीं हुआ तो इनेलो के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है क्योंकि बागड़ी बेल्ट में अर्जुन पहले स्थान पर होने के साथ पंजाबी, कम्बोज और नामधारी बेल्ट में दूसरे - तीसरे स्थान और रानियां शहर में तीसरे - चौथे स्थान पर नजर आ रहा है।
आज़ाद रणजीत चौटाला बागड़ी बेल्ट में दूसरे और नामधारी बेल्ट में पहले और पंजाबी बेल्ट में दूसरे - तीसरे स्थान पर और रानियां शहर में दूसरे - तीसरे स्थान पर नजर आ रहे हैं परन्तु इनेलो और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां रणजीत चौटाला का ही नुक्सान कर रही है अब वो अपने चुनाव को कितना सम्भाल कर रख सकते हैं इस बात पर उनकी हार - जीत टिकी हुई है
कांग्रेस के सर्व मित्तर कम्बोज का चुनाव भी बागड़ी बेल्ट पर ही निर्भर करता है अभी तक सर्व मित्तर कम्बोज का चुनावी अभियान इस बेल्ट के सभी गांव में नहीं पहुंचा है इसका खामियाजा सर्व मित्तर कम्बोज को भुगतना पद सकता है पंजाबी, कम्बोज और नामधारी बेल्ट और रानियां शहर के साथ कहीं पर पहले - दूसरे - तीसरे और चौथे स्थान पर नजर आ रहा है कांग्रेस का चुनाव जल्दी नहीं उठा तो जल्दी चुनाव की रेस से बहार भी हो सकती है
बीजेपी के शीशपाल कम्बोज चुनाव में ज्यादा नजर नहीं आ रहे, बीजेपी को सिर्फ साइलेंट वोटर से ही उम्मीद है यदि उसने साथ नहीं दिया तो बीजेपी का हाल पिछले दो चुनाव जैसा ही हो सकता है
आप के हैप्पी कम्बोज का चुनाव भी दिखाई नहीं दे रहा हालांकि जिला परिषद् चुनाव में आम आदमी पार्टी ने यहां पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था।
डबवाली विधानसभा
डबवाली विधानसभा सीट पर मुकाबला अभी तक कांग्रेस के अमित सिहाग और इनेलो के आदित्य देवीलाल के बीच में ही नजर आ रहा है इसी के साथ जेजेपी के दिगविजय चौटाला तीसरे और बीजेपी के बलदेव सिंह और आप के कुलदीप गदराना चौथे - पांचवे स्थान पर नजर आ रहे हैं परन्तु देखना ये होगा की तीसरे -चौथे - पांचवे स्थान वालों का चुनाव ऊपर नीचे होगा तो ये किसका चुनाव ख़राब करेंगे।
डबवाली शहर, पंजाबी बेल्ट से कांग्रेस के अमित सिहाग आगे और बागड़ी बेल्ट में इनेलो के आदित्य देवीलाल आगे नजर आ रहे हैं परन्तु पंजाबी बेल्ट में आप के कुलदीप गदराना और दिग्विजय चौटाला दोनों ही वोट बढ़ा रहे है पंजाबी वोट को बचाने के लिए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष राजा वड़िंग लगातार अमित के लिए प्रचार कर रहे हैं या इसको भी हम पंजाब की राजनीती से जड़कर देख सकते हैं ये तो अंदर की बात है इसी के साथ कांग्रेस के अमित सिहाग का ध्यान भी बागड़ी बेल्ट पर है अभी तक कांग्रेस के अमित सिहाग चुनाव में आगे नजर आ रहे हैं
ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की चुनाव किस ओर जायेगा।
ऐलनाबाद विधानसभा
ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर सीधा मुकाबला इनेलो के अभय सिंह चौटाला और कांग्रेस के भारत सिंह बेनीवाल के बीच में ही है और आने वाले समय में भी इन दोनों के बीच में रहने के आसार बने हुए हैं ये सीट बहुत लम्बे समय से इनेलो की रही है परन्तु इस बार अभय सिंह चौटाला के कुछ आत्मघाती फैंसलों के कारण ऐलनाबाद का चुनाव किसी ओर ही राह पर चल पड़ा है हलोपा के गोपाल कांडा के साथ समझौता करने से पंजाबी बेल्ट और किसानों के वोट का नुकसान के साथ ऐलनाबाद शहर में अरोड़ा वोट का भी नुकसान हो सकता है पवन बेनीवाल के इनेलो में आने से भी अभय सिंह चौटाला चुनाव को नहीं उठा सके। इसी बीच गोपाल का बीजेपी के साथ वाले ब्यान ने भी बीजेपी के साथ सांठ- गांठ की बात को हवा देकर भी नुक्सान किया, इसी के साथ रणजीत चौटाला का कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल के समर्थन में आ जाना, बीजेपी का कमजोर उम्मीदवार और कप्तान मीनू बेनीवाल का साइलेंट हो जाना भी इनेलो के नुकशान का कारण बनता जा रहा है
अभी मतदान में समय है अब देखना यही होगा की कौन अपना चुनाव संभाल कर रख सकता है और अपना चुनाव उठा सकता है और कौन मुकाबले से बहार होने वाला है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
कुछ नई, बड़ी और सटीक जानकारी के साथ आने वाले समय में एक बार भी चर्चा करेंगे
कौन सी विधानसभा से कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में
हरियाणा चुनाव 2024 : जानें प्रमुख पार्टियों और उनके द्वारा चुनाव लड़ने वाली सीटों की संख्या के बारे में
हरियाणा में चुनाव 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में, कुल 90 सीटों के लिए 1031 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए एक ही चरण में 5 अक्टूबर को मतदान होगा और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा जहां 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए नजर गड़ाए हुए है, वहीं कुमारी शैलजा और पार्टी के दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस राज्य में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश कर रही है, जो पिछले विधानसभा चुनावों में 40 सीटें जीतकर राज्य में सत्ता में आई थी। कांग्रेस 31 सीटों पर सिमट गई जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) ने 1 सीटें जीतीं। और नई बनी पार्टी जेजेपी 10 सीटें जीत कर आई।
इस साल चुनाव लड़ने वाली पांच प्रमुख पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी)+ भारतीय साम्यवादी पार्टी (भाकपा), इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) + बहुजन समाज पार्टी, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) + आजाद समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी (आप) शामिल हैं।
हरियाणा चुनाव 2024 : हरियाणा में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसका ब्योरा इस प्रकार है:
भारतीय जनता पार्टी - 89
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - 89
भारतीय साम्यवादी पार्टी - 1
इंडियन नेशनल लोकदल - 51
बहुजन समाज पार्टी - 37
जननायक जनता पार्टी - 45
आजाद समाज पार्टी - 45
आम आदमी पार्टी - 90
विधानसभा के अनुसार कितने- कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में है
Adampur - 12
Ambala Cantt. - 11
Ambala City -11
Assandh - 14
Ateli - 8
Badhra - 15
Badkhal - 9
Badli - 9
Badshahpur - 13
Bahadurgarh - 14
Ballabgarh - 8
Baroda - 7
Barwala - 9
Bawal - 10
Bawani Khera -10
Beri - 8
Bhiwani - 18
Dabwali - 12
Dadri - 18
Ellenabad- 10
Faridabad - 8
Faridabad NIT - 13
Fatehabad - 18
Ferozepur Jhirka - 8
Ganaur - 11
Garhi Sampla-Kiloi - 9
Gharaunda - 8
Gohana - 11
Gulha - 9
Gurgaon - 17
Hansi - 13
Hathin - 8
Hisar - 21
Hodal - 12
Indri - 6
Israna - 7
Jagadhri - 11
Jhajjar - 11
Jind - 13
Julana - 12
Kaithal - 12
Kalanaur - 13
Kalanwali - 5
Kalayat - 14
Kalka - 7
Karnal - 12
Kharkhauda -10
Kosli - 17
Ladwa - 16
Loharu - 13
Mahendragarh - 13
Meham - 19
Mulana - 10
Nalwa - 13
Nangal Chaudhry - 5
Naraingarh - 7
Narnaul 11
Narnaund 14
Narwana 10
Nilokheri 15
Nuh 6
Palwal 13
Panchkula 10
Panipat City 11
Panipat Rural 11
Pataudi 7
Pehowa 9
Prithla 13
Punahana 7
Pundri 18
Radaur 10
Rai 14
Rania 14
Ratia 10
Rewari 12
Rohtak 15
Sadhaura 9
Safidon 17
Samalkha 7
Shahbad 9
Sirsa 13
Sohna 10
Sonipat 12
Thanesar 9
Tigaon 13
Tohana 12
Tosham 15
Uchana Kalan 20
Uklana 7
Yamunanagar 10
बीजेपी हरियाणा में खेला करने की तैयारी में ?
बीजेपी हरियाणा में खेला करने की तैयारी में ?
काफी समय से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच में राजनितिक जुबानी जंग चल रही है शैलजा खुद उकलाना से चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी शैलजा के भतीजे हर्ष को उकलाना से टिकट देने को तैयार थी लेकिन शैलजा इसके लिए राजी नहीं हुईं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शैलजा के विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण मुख्यमंत्री की कुर्सी का भी डर सत्ता रहा था साथ में ये चर्चा भी आम है कि कांग्रेस की 60 के करीब सीटें आती है तो कांग्रेस हाईकमान हरियाणा का मुख्यमंत्री किसी ओर को भी बना सकता है हो सकता है कि इन्हीं राजनीतिक कारणों से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नुकसान करके हरियाणा में कांग्रेस की 45 से 50 के बीच रखने की कोशिश में हो। इस राजनीती में किसी भी संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कुमारी शैलजा को भूपेंद्र सिंह हुड्डा से चल रहे मतभेदों के बीच कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा को बीजेपी ने पार्टी में शामिल होने का ऑफर देकर ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी हरियाणा में खेला करने की तैयारी में है? क्या शैलजा बीजेपी में शामिल होंगी? क्या हुड्डा VS शैलजा के मतभेदों में कांग्रेस का जहाज डूब जाएगा?
पूर्व चीफ मिनिस्टर और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कांग्रेस में कुमारी शैलजा का अपमान हो रहा है। कुमारी शैलजा के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों पर खट्टर ने कहा कि संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। सही समय पर सब पता चल जाएगा। इस बीच कांग्रेस की तरफ से रिएक्शन आ रहा है कि सब कुछ ठीक है और सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सब कुछ ठीक नहीं ये तो सैलजा ने बार बार मीडिया के सामने अपने बयानों कहती आ रही है। अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों पर की हरियाणा की राजनीती क्या- क्या होने वाला है
फतेहाबाद जिले की तीनों सीटों पर कौन जीत रहा है
आज की विधानसभा की अगली कड़ी में हम चर्चा करेंगे फतेहाबाद जिले की तीनों सीटों के बारे में :
फतेहाबाद विधानसभा सीट को तीन भागों में बांटा जा सकता है फतेहाबाद शहर, भट्टू और भूना की ओर, क्षेत्रफल और वोटों की दृश्टि से हरियाणा की सबसे बड़ी तीन विधानसभाओं में से एक है काफी लम्बे समय से यहाँ पंजाबी बाहुल्य या पंजाबियों का आशीर्वाद प्राप्त उम्मीदवार ही यहां से विधायक बनते आ रहा है 2014 के चुनाव में इनेलो के बलवान दौलतपुरया विधायक बना था। 2019 के चुनाव में बलवान को टिकट नहीं मिली। परन्तु 2019 के चुनाव में मुकाबला बीजेपी के दुड़ा राम और जेजेपी के डॉ वीरेंद्र सिवाच के बीच में बड़ा रोचक रहा था। कांग्रेस के प्रह्लाद गिलाखेड़ा को लगभग 21 हजार वोटों से ही सन्तोष करना पड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस से बलवान दौलतपुरिया, बीजेपी से दुड़ा राम और इनेलो से सुनैना चौटाला चुनावी मैदान में है परन्तु मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही रहने की सम्भावना है सुनैना चौटाला अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश कर रही है अभी के आंकलन के अनुसार बलवान अपनी जीत वाली लीड लेकर चल रहा है यदि सुनैना के वोटों की संख्या 35 हजार से ऊपर निकलती है तो बलवान के लिए खतरा हो सकता है
रतिया विधानसभा सीट
रतिया विधानसभा सीट से 2014 के चुनाव में इनेलो के रविंद्र बलियाला बीजेपी की उम्मीदवार सुनीता दुग्गल को हरा कर विधायक बना था। 2019 के चुनाव में इनेलो के रविंद्र बलियाला ने बीजेपी में शामिल हो गए थे परन्तु बीजेपी ने टिकट लक्मण नापा को दिया। लक्मण नापा ने कांग्रेस के जरनैल सिंह को मात्र 1216 वोटों के अन्तर से हराया। जेजेपी की मंजू बाला ने भी यहां से लगभग 30 हजार वोट प्राप्त किये थे। इस बार बीजेपी ने फिर से सुनीता दुग्गल को उम्मीदवार बनाया है और कांग्रेस ने जरनैल सिंह को उम्मीदवार बनाया है यहाँ पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला है परन्तु कांग्रेस के जरनैल सिंह निर्णायक लीड बनाये हुए है
टोहाना विधानसभा सीट
टोहाना हल्का पर ज्यादातर चुनावों में कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। 2014 में टोहाना सीट पहली बार भारतीय जनता पार्टी की झोली में डाल दी। सिख और पंजाबी आबादी वाले इस क्षेत्र में ज्यादातर विधायक पंजाबी बने हैं।
इस सीट पर भाजपा ने सुभाष बराला को उम्मीदवार बनाया था । सुभाष बराला का इस सीट पर भाजपा की टिकट पर तीसरा चुनाव था। 2005 में बराला ने यहां 16.96 प्रतिशत वोट लिए थे जबकि 2009 में उन्हें सिर्फ 8.43 प्रतिशत वोट ही मिले। 2014 में बराला का ग्राफ तेजी से ऊपर उठा और 28.58 प्रतिशत वोटों से साथ उन्होंने बाजी मार ली।
उधर कांग्रेस ने अपने लगातार 2 बार के विधायक परमवीर सिंह को ही यहां फिर से मैदान में उतारा। परमवीर सिंह ने 2005 और 2009 में जीतने के अलावा 1987 में भी कांग्रेस का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। परमवीर सिंह ने 2005 में 45.45 प्रतिशत वोटों के साथ दमदार जीत हासिल की थी और 2009 में उन्हें 34.01 प्रतिशत वोटों के साथ जीत मिली। दोनों बार उन्होंने इनेलो के निशान सिंह को हराया। 2014 में सत्ता विरोधी लहर में परमवीर सिंह का वोट बैंक भी उड़ गया और उन्हें सिर्फ 19.13 प्रतिशत वोट मिले और वे चौथे नंबर पर आए। इस सीट पर एक अन्य उम्मीदवार देवेंद्र सिंह बबली काफी चर्चा में रहे। आखिरकार बबली को 22.12 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
2019 के चुनाव में बीजेपी ने सुभाष बराला को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस से देवेंद्र सिंह बबली और परमवीर सिंह दोनों ही दावेदार थे परन्तु कांग्रेस ने परमवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया और देवेंद्र सिंह बबली ने अन्तिम समय में जेजेपी ज्वाइन करली और बीजेपी के सुभाष बराला को बहुत बड़े अन्तर से चुनाव हराकर विधायक बने। 2019 के चुनाव में परमवीर सिंह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाये थे।
इस चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने परमवीर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है और एक बार फिर देवेंद्र सिंह बबली ने अन्तिम समय में बीजेपी ज्वाइन करली और बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है अभी तक मुख्य मुकाबला कांग्रेस के परमवीर सिंह और देवेंद्र सिंह बबली के बीच में होने के आसार ज्यादा लग रहे हैं परन्तु हमारे आंकलन के अनुसार अभी तक परमवीर सिंह आगे नजर आ रहे हैं
फतेहाबाद जिले की तीनो सीटों पर हार जीत का फैसला तो आने वाले वक्त में पत्ता चलेगा।
क्या है नारनौंद विधानसभा का पूरा गणित ?
क्या है नारनौंद विधानसभा का पूरा गणित ?
भाजपा ने एक बार फिर कैप्टन अभिमन्यु को चुनावी मैदान में उतारा और कांग्रेस ने जसबीर सिंह उर्फ जस्सी पेटवाड़ दिया टिकट, जस्सी पिछली बार इनेलो से लड़े थे, इनेलो के उमेद लोहन भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए टिकट दिया है
बागड़ बेल्ट का प्रवेश द्वार नारनौंद बड़ा विधानसभा क्षेत्र है। यह जींद जिलों की विधानसभा सीटों से सटा है और जाट बाहुल्य है। भाजपा की ओर से दूसरी बार चुनावी रण में उतरे पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु। देवीलाल परिवार का गढ़ रही इस सीट पर जीत हासिल करना भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती है।
इनेलो ने अनुभवी नेता उमेद लोहान को उतारा है। पहले भी उमेद चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। वहीं, जजपा ने युवा योगेश गौतम को चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने का मुकाबला है, लेकिन इनेलो प्रत्याशी इसे त्रिकोणीय बनाने में पूरा जोर लगाए हुए हैं। भाजपा प्रत्याशी पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु इस सीट पर 2014 में पहली बार विधायक बने थे।
उस समय सरकार में वह वित्तमंत्री भी बने थे, लेकिन 2019 का चुनाव वह हार गए थे। इसी प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी जस्सी पेटवाड़ के सामने चुनौती है। 2019 से इनेलो की टिकट से लड़े जस्सी चुनाव हारे थे तो अब कांग्रेस से चुनाव मैदान में है।
इसलिए हॉट सीट है नारनौंद
देवीलाल परिवार के प्रभुत्व वाली सीट पर भाजपा दो बार जीत चुकी है। कांग्रेस ने भी दो बार ही इस सीट में सेंध लगाई है। भाजपा से पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु है। राष्ट्रीय प्रवक्ता रहने के अलावा वह देश के बड़े उद्योगपति भी हैं। राष्ट्रीय राजनीति में भी उनका कद है।
इसी प्रकार कांग्रेस की तरफ से जसबीर को टिकट देने के बाद वह उनको टक्कर दे रहे हैं। इसी सीट पर जिस भी पार्टी के नेता की जीत होगी उसकी प्रदेश सरकार की राजनीति में एक हिस्सेदारी हो सकती हैं। कारण है कि नारनौंद के साथ लगते जींद क्षेत्र को भी प्रभावित करता है।
हिसार जिले में दूसरा सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र
सात विधानसभा क्षेत्र वाले हिसार जिले में नारनौंद अपने आप में खास है। उकलाना हलके के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र हैं। मतदाता प्रतिशत भी मतदान के दिन काफी ज्यादा रहता है।
2019 के चुनाव को देखें तो उस चुनाव में 77.31 प्रतिशत यानी एक लाख 53 हजार 344 वोट पोल हुए थे। ग्रामीण इलाकों को देखे तो 59 गांव आते हैं। जाट बाहुल्य के साथ अनुसूचित जाति वर्ग का भी यहां काफी वोट बैंक हैं। यह क्षेत्र हांसी विधानसभा क्षेत्र को भी एक तरह से प्रभावित करता है।
देवीलाल की पार्टी से सबसे ज्यादा विधायकों ने दर्ज की जीत
पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की पार्टी का यहां दबदबा रहा है। उनकी पार्टी के ही विधायक सबसे ज्यादा रहे हैं। उस समय देवीलाल की जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल से वीरेंद्र सिंह विधायक बने थे। वह अकेले विधायक थे, जो चार बार लगातार जीते। प्रो. रामभगत शर्मा भी विधायक बने थे। 2009 में सरोज पहली बार इनेलो टिकट पर महिला विधायक बनी थी।
जाट समुदाय को साथ लाना कैप्टन अभिमन्यु की चुनौती
भाजपा प्रत्याशी एवं पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही जाट समुदाय के मतदाताओं को साथ लेकर चलना है। किसान आंदोलन के चलते किसान उनसे नाराज चल रहे हैं। उनके सामने बड़ी चुनौती है कि वह भाजपा को गांवों में बढ़त दिलाए।
जसबीर सिंह को सैलजा पर टिप्पणी पड़ सकती भारी ?
जसबीर सिंह उर्फ जस्सी के सामने खुद की पार्टी के नेता एवं कार्यकर्ता ही चुनौती बने हुए हैं। टिकट नहीं मिलने से वह नाराज हैं। हालांकि, जस्सी उन्हें मनाने में जुटे हैं। नामांकन के दिन हुए कुमारी सैलजा पर टिप्पणी के बाद अनुसूचित जाति वर्ग के लोग भी कांग्रेस प्रत्याशी से नाराज चल रहे हैं। इनेलो के उम्मीदवार के वोट बढ़ते जायेंगे उतना ही फायदा भाजपा को होता जायेगा।